Sbi Electoral bond: को लेकर एसबीआई बैंक की तरफ से सामने आए 10 पड़े सबूत। ?

Sbi Electoral bond मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाई थी

अब जिसके बाद एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा इलेक्शन कमीशन को सौंप दिया है

इस मामले पर एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट फाइल किया है एसबीआई ने कोर्ट को बताया है। कि चुनावी बंड से जुड़ा बेरा आयोग को अवेलेबल करा दिया गया है। क्या इस एफिडेविट में है और क्या कुछ जानकारी सामने आई है।

दिनेश खारा ने अपने बयान में सुप्रीम कोर्ट से कहा है। कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन किया है। Sbi Electoral bond की खरीद और बिक्री इसके खरीददार के नाम से जुड़ी जितनी भी जानकारियां थी वह रिपोर्ट तैयार कर दी है। और इसे वक्त रहते हुए आयोग को प्रोवाइड भी करा दिया है एसबीआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि

sbi electoral bond

Sbi Electoral bond के पक्के सबूतों की फाइल सुप्रीम कोर्ट को मिल गई।

बैंक ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव और दो पीडीएफ फाइल के जरिए पूरी सामग्री को सौंप दिया है जो कि पासवर्ड से सिक्योर्ड है जिस इलेक्टोरल बॉन्ड का पेमेंट किसी पार्टी को नहीं किया गया है

या नहीं हो पाया है किसी रीजन से उसकी अमाउंट पीएम रिलीफ फंड में भी जमा कर दी गई है इस एफी डेबिट में बैंक ने आंकड़ों के जरिए बताया है कि पहली अप्रैल 2019 के बाद से 15 फरवरी 2024 तक टोटल 22217 इलेक्टोरल बांड बिके हैं।

इनमें से 2230 इन कैश करा लिए गए हैं जबकि उनमें से 187 का भुगतान नहीं लिया गया है तो जाहिर है रूल्स कहते हैं रूल्स के अकॉर्डिंग वो पीएम रिलीफ फंड में जमा हो चुके हैं

आपको बता दें कि इससे पहले एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी साझा करने की जो डेडलाइन थी उसको 30 जून तक बढ़ाने का सुप्रीम कोर्ट से रिक्वेस्ट की थी लेकिन कोर्ट ने एसबीआई की इस डिमांड को खारिज कर दिया था और उसे 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग के समक्ष शेयर करने के लिए कहा था।

sbi electoral bond

Sbi Electoral bond को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रद्द किया था। ?

आपको पता ही है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार करते हुए कैंसिल कर दिया था रद्द कर दिया था साथ ही एसबीआई से 6 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग के पास सबमिट करने को कहा था

इस पर एसबीआई ने 30 जून तक का वक्त मांगा था सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बैठक में एसबीआई की मांग को खारिज करते हुए 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया था।

साथ ही चुनाव आयोग को यह सारी डिटेल 15 मार्च की शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड करने को भी कहा है आज 13 मार्च है 15 मार्च तक जो भी जानकारियां website पर अपलोड हो जाएंगी अब जानते हैं अगर आपको अब भी नहीं पता क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड जो है वो बहुत टाइम से चर्चा में है बहुत टाइम से खबरों में है क्या होता है यह समझ लेते हैं।

sbi electoral bond

Sbi Electoral bond को लेकर सोशल मीडिया पर खूब हल्ला मचा है।

देखिए साल 2017 में सेंट्रल गवर्नमेंट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की अनाउंसमेंट की थी इसे 29 जनवरी 2018 को कानूनी रूप से लागू कर दिया गया था सरकार का कहना था कि चुनावी चंदे

यानी कि जो भी इलेक्शन में डोनेशन इकट्ठा होता है वह साफ सुथरा धन हो उसमें और उसमें ट्रांसपेरेंसी आए इसको बढ़ाने के लिए स्कीम को लाया गया है एसबीआई की 29 ब्रांचेस से अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड्स जारी किए जाते हैं

यह अमाउंट 1000 से लेकर ₹ करोड़ तक हो सकती है इसे कोई भी खरीद सकता है और अपनी पसंद की जो भी पार्टी है उसको वो डोनेट कर सकता है बॉन्ड्स के जरिए अब इसे खरीदने की प्रक्रिया क्या थी तो देखिए अब तो ये असंवैधानिक हो गया है

लेकिन इससे पहले क्या होता था कि Sbi Electoral bond को साल में चार बार जनवरी अप्रैल जुलाई और अक्टूबर के महीने में जारी किया जाता था। इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा उन्हीं पार्टियों को दिया जाता था। जिन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कम से कम एक वोट मिले हो।

sbi electoral bond

Sbi Electoral bond के अनुसार इस बांड कितने दिन के लिए जारी किया जाता था। ?

साल में चार बार 10-10 दिन के लिए इस बॉन्ड को जारी किया जाता था कोई भी व्यक्ति या कोई भी कॉरपोरेट हाउस इन बॉन्ड्स को खरीद सकता था और उसके बाद जो भी इसका प्रोसेस था

उसके जरिए वोह राजनीतिक पार्टियां उसे इन कैश करा लेती थी और जो इन कैश नहीं करा पाते थे जिनका पैसा जमा नहीं हो पाता था उनका पैसा पीएम रिलीफ फंड में भेज दिया जाता था। अब है क्योंकि यह असंवैधानिक हो गया है तो अब ऑप्शन क्या बचता है

डोनेशन का तो जब चुनावी बंड नहीं होते थे तब पार्टियों को चेक से डोनेशन दिया जाता था। डोनेशन देने वाले का नाम और अमाउंट की जानकारी पार्टियों को चुनाव आयोग को देनी होती थी वहीं तकरीबन चार दशक पहले पार्टियों के पास एक रसीद बुक हुआ करती थी इस बुक को लेकर कार्यकर्ता घर-घर जाते थे और लोगों से चंदा इकट्ठा करते थे।

Sbi Electoral bond के अलावा चुनावी पार्टियों की इनकम स्रोत कौन सा है। ?

इलेक्टोरल बंड रद्द हो जाने के बाद पार्टियों के पास अब और भी कई रास्ते हैं जहां से वह कमाई कर सकते हैं जैसे कि इनमें हो गया डोनेशन क्राउड फंडिंग और मेंबरशिप से आने वाली रकम इसमें शामिल है इसके अलावा कॉर्पोरेट डोनेशन से भी पार्टियों की कमाई होती है।

इसमें बड़े कारोबारी पार्टियों को डोनेशन देते हैं whale ADR की रिपोर्ट यह बताती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कुल 7 नेशनल पार्टीज को 5500 करोड़ से ज्यादा का फंड मिला था इन पार्टियों ने उन करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया था 2019 में बीजेपी को 057 करोड़ की फंडिंग मिली थी

इसमें से उसने 11142 करोड़ खर्च किए थे जबकि कांग्रेस को 1167 करोड़ का फंड मिला था इसमें से उसने 600 करोड़ खर्च किए थे तो अब इसके ऊपर पूरी डिटेल सामने आ चुकी है एसबीआई ने Sbi Electoral bond चुनाव आयोग को पूरा का पूरा फाइल सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है।जिसमें पूरी जानकारी भी आ गई है

FAQ…

Electoral Bond kya hai. ?

साल में चार बार 10-10 दिन के लिए इस बॉन्ड को जारी किया जाता है।

Sbi Electoral bond को कितने दिन में सुप्रीम कोर्ट को दिया ?

एसबीआई की मांग को खारिज करते हुए 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया था।

Electoral bond को कौन से महीने में लागू किया जाता है।

साल में चार बार जनवरी अप्रैल जुलाई और अक्टूबर के महीने में जारी किया जाता है।

Leave a Comment